पत्तों को सरका कर जमीं पे बैठा है धूप फिसलती वक्त पे नज़र रखना फ़िज़ूल नहीं पत्तों को सरका कर जमीं पे बैठा है धूप फिसलती वक्त पे नज़र रखना फ़िज़ूल नहीं
साथ खेलने-खिलाने से बनते थे रिश्ते, होती थीं बातें अब अंगूठे से फिसलती है दुनिया, यूँ साथ खेलने-खिलाने से बनते थे रिश्ते, होती थीं बातें अब अंगूठे से फिसलती है दुन...