किसी दिन
किसी दिन
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
1 min
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
161
मैं बिक गया था ज़माने को उस दिन
नज़र में घिर गया तू ज़माने की जिस दिन
मेरे तआरुफ़ को भी चुरा ले गयी हवा तुझ से
तू अरसे बाद मिला जिस गली में उस दिन
तेरी पहचान में मेरी ज़ात ऐ यकता अब भी थी
तू कर रहा था आसमां से गुफ्तगू जिस दिन
कहे तो फिर उसी तिश्नगी से बुलाऊं तुझे
तू बता तुझ को थी मुझसे मोहब्बत किस दिन
मेरी आँखों में अभी कुछ नमी का पर्दा है
अंगारे देखना ये आँसू गिरेंगे जिस दिन
अपनी आदत में मेरे लहजे को छुपा अब
तू रो रहा था, और मैं गिर रहा था उस दिन
तेरी यादों से उतर आयी एक गेसू की लड़ी
मैं सो गया किसी बच्चे की तरह एक दिन
आसमां, ज़मीं, हयात, मौत, क़यामत
नसीब कुछ तो बता मुझसे मिलेगा किस दिन