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AMAN SINHA

Tragedy

4  

AMAN SINHA

Tragedy

किसे अपना कहें हम यहाँ ?

किसे अपना कहें हम यहाँ ?

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किसे अपना कहें हम यहाँ?

खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया 

किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ ?

हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया 


किसे जख्म दिखाये दिल का ?

हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया 

किसे साथी समझे अपना यहाँ ?

मेरी जमीन उसी ने खींची जिसको कंधे पर बैठाया 


किसी चुने हमसफर अपना?

गड्ढा उसी ने खोदा जिसको रास्ता दिखलाया 

किसे बनाए मीत यहाँ?

मौके पर पीठ दिखाया जिसपर सबकुछ लुटाया


किससे करें उम्मीद यहाँ?

निवाला उसी ने छिना जिसको भूखा ना सुलाया 

कौन रहेगा साथ यहाँ?

हर डोर उसी ने तोरी जिसको माला पहनाया 


किससे मांगे हम पनाह?

हर पर्दा उसी ने उठाया जिसको सबसे बचाया 

किससे सच की उम्मीद करें?

झूठा उसी ने बनाया बोलना जिसको सिखलाया   

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