किसे आवाज दूँ
किसे आवाज दूँ
किसे मैं आवाज दूँ खुद मैं बेआवाज हूँ
छूटा हूँ आसमां से, फिर भी मैं बाज हूँ
असलियत में तो, भूलो का सरताज हूँ
गलती भी बोलती है, तुझसे अच्छी जांबाज हूँ
कम से कम रुलाकर, आंसुओं का देती ताज हूँ
फूल भी कहते, तुझसे नाराज हूँ
सही वक्त काम न लिया, अपने को काम न लिया
अब बोलता जिंदगी में, तुझे जीने को मोहताज हूँ
मैं कितना बड़ा खुद का, ज़माने में धोखेबाज हूँ
अपने ही बुरे कर्मों का, रोकर काट रहा प्याज हूँ