किसान
किसान
अन्न उगाने के लिये हर मुसीबत से रिश्ता रखता हैं।
ऋतुओं के अलग - अलग बरताव में,
चाहे सर्दि, गर्मी या हो बरसात,
चाहे तो बदन चीरती जाए ठंडी हवाए,
चाहे सूरज तपे सिर पे या
वह बरसात के साथ कड़कड़ाती बिजलीयां हो,
वह रात हो या दिन कभी सोता नहीं,
तब जाके बड़े - बड़े शहरों अन्न आता है,
प्राचीन से हि ऋषि मुनियों ने ,
अन्न को देवता रूप माना,
अन्न के बिना मानव जीवन संभव नहीं,
चाहे कितने महंगे पिज़ा खाओ,
पर अन्न बिना तो सब फिका।।