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jignesh 💫 💫

Abstract

4  

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आज का रावण

आज का रावण

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हे रावण बुराई का प्रतीक भले, 

पर आज का मानव भी रावण से कम नहीं। 

नहीं मरा अभी इस दुनिया में रावण, 

प्रभु श्री राम ने मात्र उसकी देह मिटाई, 

कलयुग में भटक रही आत्मा उसकी। 


कहता था... 

रावण मे तीन लोक का स्वामी, 

यही बात अब सत्य नज़र आती है। 

मैं साम - दाम और दंड - भेद से हूं परिपूर्ण। 

मैं वही रावण हूं, 

जिसने सीता को छुआ भी नहीं। 


तुम जिस तरह जलाते हो रावण के पुतले, 

उसी तरह से, 

क्यों नहीं जलाते आज के रावण को ? 

लक्ष्मण ने जिसे गुरु स्वीकारा हो, 

कैसे कहते हो तुम उसके पुतले को,  

बुराई का प्रतीक। 


हो रहे हे बलात्कार, 

फिर भी आज का रावण निडर सड़कों पे घूम रहा। 

रावण खुद शर्मा जाता, 

अगर वो इस कलयुग में जिन्दा होता। 

इस कलयुग मे कई प्रकार के मारिची घूम रहे। 


अरे अब कागज के पुतले मत फूको

रावण ने तो मरते हुए भी राम को आशिर्वाद दिया। 

अभी समय है तुम्हारे पास, 

मिटा दो आज के रावण को। 

चलो फिर से राम राज लाते हैं, 

चाहे कुछ भी हो जाए अब हम मौन नहीं रहेगे। 


बंद करो ये ठोग। 

बंद करो अब पुतले जलाना।


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