भूलना वरदान है
भूलना वरदान है
भूलना वरदान है
भूल जाता हूँ मैं अक्सर
चाँभियाँ चश्मे किताबें
भूल जाता हूँ मैं अक्सर
कर्मों के वो बही खाते
भूल जाता काम
नाम जो विदा हुये
भूल जाना आम
विपदा जो आ पड़े
लोग कहते हैं यहाँ
क्षीण स्मृति हो गयी
कौन समझाये कि अब
चालाक मेरी मति हुई
यदि ना भूले यह
जो साथी पीछे रह गये
यदि न भूले पल
जिनमें अश्रु कितने बह गये
यदि न भूले यह
बिछड़े जनों का नाम
फिर कहाँ से पायेगा
क्षण एक को मन विश्राम
रो कर धो कर
कार्यों में फिर से खो कर
भूल जाता हूँ मैं
क्योंकि
भूलना वरदान है।