रूह से रूह
रूह से रूह
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एक बार फिर से इश्क हुआ था ,
कोई फिर से अच्छा लगने लगा था ।
एक बार फिर से मेरे अपने ......
झूठे लगने लगें थे ।
और.........
वो सच्चा लगने लगा था ।
फिर से मैं उस ईश्वर को खोज रहा था ,
जो मेरी झोली में तुझे डाले ।
जो हाथ किसी के सामने नहीं फैलायें,
वहीं हाथ तुझे मांग रहे थे ।
पता तो पहले से ही था ।
कि......
तू मेरा नहीं होगा ।
और ....
तू सच में नहीं हुआ ।।