त्योहार या ज़िम्मेदारी
त्योहार या ज़िम्मेदारी
दिवाली क्या होती है ?
कभी फुर्सत में पूछना उन्हें तुम
कि...
किस तरह जी रहे हैं।
वो जब किराए के मकान की खिड़की में
बैठें हुए दूसरे परिवार को देखकर
यह सोचकर खुश हो रहा है।
कि मम्मी आज नई साड़ी में कितनी
अच्छी लग रही होगी ?
और...
पापा ने भी वह नीले रंग वाला
कुर्ता पहना होगा।
अरे..
छोटे ने भी तो पापा से
ज़िद कर नये कपड़े लाया होगा।
मैं होता तो शायद मुझे भी नए
कपड़े मिलते।
और...
माँ ने आज ज़रूर मिठाई के
साथ-साथ पूरी बनाई होगी।
छोटा तो आज पूरे दिन पठाके
फोड़ रहा होगा।
मम्मी ने कुछ काम बताया होगा
तो वो पटाखों के चक्कर में
भुल गया होगा।
पापा ने अभी तक मेरे को कुछ
कहा क्यों नहीं,
घड़ी में साढ़े दस
हो गई पर नहाया नहीं?
पापा ने आज तो
मुझे डांटा ही नहीं।
अरे...
तू अपने घर कि खिड़की में
नहीं बल्कि किराये
कि दुनियां वाली खिड़की में बैठा है।
सच माँ मैं अब बड़ा हो गया हूँ।
कभी फुर्सत में पुछना उन्हें तुम
कि दिवाली कैसी रही.......?