अभी बाकी है
अभी बाकी है
लगे हैं घर बार छोड़
मानवता के सिपाही।
मदद करने को तैयार
हर पल ईश्वर साक्षी।
दिलों में है डर भरा
उम्मीद की किरण जागी है।
हाँ अभी इंसानियत बाकी है।
दर्द का मंज़र हर ओर
आँसू थमने का नाम नहीं।
साया सिर से चला गया
कांधो का सहारा नहीं।
अंजाने हाथों का सहारा बाकी है,
उम्मीद की किरण जागी है।
हाँ अभी इंसानियत बाकी है।
न दिन देखें न रात,
अपना फर्ज़ निभाते हैं।
कठिन राह के कांटे चुन,
प्राण वायु दिलाते हैं।
त्यागें स्वयं सुख राह आधी है।
उम्मीद की किरण जागी है।
हाँ अभी इंसानियत बाकी है।