रिश्तों की अहमियत
रिश्तों की अहमियत
पतझड़ में पत्ते गिरते हैं ,
जो बारिश हो तो बह जाते हैं ,
कुछ लोग नज़रों से गिर जाते हैं ,
लेकिन दिल के किसी कोने में रह जाते हैं ,
गिरे हुए लोगों के गिरने का कोइ मौसम नहीं होता ,
सोच समझ के रिश्ते बनाना ये कह जाते हैं ,
ताश के पत्तों की तरह होती है भरोसे की दीवार ,
मतलबी हवाओं के एक हल्के झोंके से ये ढह जाते हैं।