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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Classics Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Classics Inspirational

किसान

किसान

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धरती का अभिमान किसान

कर्म ही धर्म की शान किसान।

हरियाली, खुशहाली का इंसान

माटी को सोना बनाता किसान।


राष्ट्र की गौरव गरिमा की पहचान

किसान चाहे जो भी हो हालात

लड़ता देश का किसान।

वर्षा में बाढ़ विप्लव का

भय बारिश नहीं तो सूखे में

अरमानों के जल जाने का भय।


अपनी मेहनत के पसीने से धरा

सींचता अन्नदाता कहलाता खुद

का बदहाली से नाता रिश्ता किसान।


समाज राष्ट्र का पेट भरता

ठिठुरन हो या तपन दिन रात मरता किसान।         

भाग्य भगवान भरोसे लम्हा-लम्हा जीत जाता

सक्षम बनने की अभिलाषा की जान किसान।


मौसम की मार दुःस्वरि हज़ार

फिर भी खुश रहने की कोशिश

का नाम किसान।


नेता का बेटा नेता बनाना चाहे

डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनाना चाहे

किसान बेटा की आफत में जान जाए तो

जाए कहाँ आपने बापू किसान की

दुर्गति देखता हुआ जवान।


खुद के जीवन का नहीं लगाता

दांव झंझावात मौसम का शिकार

पैदावार नहीं पैदावार मिली

तो मोल नहीं।            


चहूँ ओर की सहता मार बदहाल बेहाल

किसान रोया रोया क़र्ज़ फर्ज में डूबा

ढकता रहता मर्यादाओ से अपनी अस्मत को

किसान।


बेबस लाचार जाता थक हार

आत्मा का हनन करता करता

आत्म हत्या करता किसान।


कहा था महाकवि घाघ ने उत्तम

खेती माध्यम बान निषिध चाकरी

भीख निदान।

अब उल्टी बाणी है घाघ की उत्तम

चाकरी माध्यम बान निषिध खेती

बारी दुस्वारी आफत में जाए जान।


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