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Suresh Koundal

Abstract Tragedy

4.8  

Suresh Koundal

Abstract Tragedy

किसान का प्रश्न

किसान का प्रश्न

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मैं तो एक किसान हूँ 

इस माटी का बेटा मैं

भारत देश की जान हूँ 

मैं तो एक किसान हूँ 

तपती धूप हो या तूफान

अन्न उगाना मेरा काम 

जन जन का मैं पेट भरूं

इस धरती का सम्मान हूँ 

मैं तो एक किसान हूँ ।।


मैं कोई देश का दुश्मन नहीं

न ही कोई शैतान हूँ 

खून पसीने की रोटी खाता 

एक साधारण इंसान हूँ 

मैं तो एक किसान हूँ ।।


मुझ पर क्यों ये लाठी डंडे,

आंसू गैस, पानी की बौछारें 

मेरी राह में बिछाए क्यों ये

बेरिकेट्स और कंटीली तारें 

मैं तो इस देश का अन्नदाता

फिर क्यों मैं लहूलुहान हूँ

मैं तो एक किसान हूँ ।।


क्या मैं हूँ कोई आतंकवादी 

क्या मैंने किसी के घर उजाड़े

क्या मैंने कोई लूट पाट की

गोलियां चलाईं या बम फोड़े

तो मुझ पर ये अत्याचार क्यों 

तो मुझसे ये प्रतिकार क्यों 

मैं भी तो इस देश का वासी 

तो क्यों मैं आज परेशान हूँ 

मैं तो एक किसान हूँ ।।


क्या मैंने कोई आरक्षण मांगा

या कोई बंटवारा मांगा

अन्याय का कर रहा विरोध 

मैंने मेहनत का हक मांगा

मेरी बात ज़रा सुन तो लो 

राह के कांटे चुन तो लो 

भोला हूँ ......नादान हूँ 

सियासत से अनजान हूँ 

मैं तो एक किसान हूँ ।। 


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