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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"किसान दिवस"

"किसान दिवस"

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आज मेरे भारत देश में किसान दिवस है।

सब लगा रहे है, किसानों का चित्र बस है।।

सब व्हाट्सप्प, फेसबुक, ट्विटर आदि पर। 

किसानों का चित्र लगा रहे, बड़ा मस्त है।।


सबसे बड़े हितैषी तो वो लोग बने हुए है।

जो किसानों को लूट रहे, बड़े जबरदस्त है।।

आज वो लोग मना रहे, किसान दिवस है।

जिनका इन्हें लूटने में बहुत बड़ा हस्त है।।


इन पर राजनीति करनेवाले एक न दस है।

सब ही मिले हुए, एक ही फरेबी चम्मच है।।

आज मेरे भारत देश में किसान दिवस है।

सब हंसते है, वो आँखों में नीर लिये पस्त है।।


किसान अन्नदाता, है, हमारा भाग्य विधाता है।

सच में उसका चेहरा सूखा हुआ बरबस है।।

किसान भूखा है, सबके ही पेट ठसाठस है।

क्या दिखावे का मना रहे, किसान दिवस है।।


छोड़ दो मेरे हिन्द के किसानों को सताना।

न तो इनके बिना एक क्षण में होंगे नष्ट है।।

कौन पैदा करेगा, मेरे देश में अनाज रस है।

कौन करेगा हम सबका यहां उदर अस्त है।।


कृषकों को आप न्यूनतम समर्थन मूल्य दो।

जब आये, प्राकृतिक आपदा, इन्हें सहायता दो।।

तभी सार्थक होगा, मनाना किसान दिवस है।

बंद करो व्यर्थ ढोंग, ये ही सच में जिंदा रब है।।



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