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Manoj Kumar

Action Thriller

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Manoj Kumar

Action Thriller

किस के लिए

किस के लिए

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मैं गजल लिखूं मुस्काती कलम से।

कोरे कागज पर मन की बात दिल की बात।

जो रूठ कर चला गया, यारी न निभा पाई।

अब कैसे चले तेरे बिना साथी, बनकर मल यज वात।


बिछा ऊं आंगन में पुष्प नीले पीले।

राह देखूं दिन गिनती रही शाम सबेरे।

जो उड़ गया हमारे हाथो से आवारा परिंदा की तरह।

अब तो सूना है बसेरा मेरा, कब आओगे सावरे।


करूं श्रृंगार हाथों में मेहंदी लगाकर,

और उससे प्यार करूं।

चूमू हथेली याद करके बावनी बनकर।

जो छोड़ गया हमें इन्हीं राहों में।

अब तो रह नहीं पाऊंगी अकेली, तुम्हारे प्रेमिका बनकर।


मैं झूला झू लूं खुशियां के नई बहारों में।

पूछूं इन्हीं डाली से, वो कहा गया तन्हा छोड़ कर।

मै कैसे झू लूं बसन्त में जो तुम नहीं हो।

अब तो अच्छा भी नहीं लगता हमें बसन्त दूतिका बनकर।


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