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Devendraa Kumar mishra

Inspirational

3  

Devendraa Kumar mishra

Inspirational

कीचड़ में कमल

कीचड़ में कमल

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कब तक डरते रहोगे 

कब तक मरते रहोगे 

कब तक सड़ते रहोगे 

कब तक अधर में लटकते रहोगे 

कब तक धर्म, समाज, जाति के नाम पर सहते रहोगे 

तुम किसी निर्णय पर पहुंचो 

जोर लगाओ, उठो, जागो, 

खिला दो कीचड़ में कमल. 



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