मुफलिसों के जख्म
मुफलिसों के जख्म
मुफलिसों के जख्म पे कोई दर्द क्यों होता नहीं
वेदनाएं दिल में हो पर आँख क्यूँ रोता नहीं।
रात की खामोशियो से दोस्ती अब होगी
जुगुनू अपनी रौशनी अँधेरो में कभी खोता नहीं।
बेबसी लाचारियों की चुप्पियाँ कब तक सहे
दुश्वारियों की जिंदगी अश्को से तो धोता नहीं।
स्वार्थो की दोस्ती इंसानों में अब हो गयी
जो तड़पता भूख से वो चैन से सोता नहीं।
जंगलों के जानवर से हो गए हम क्यों यहां
इंसानियत खोकर कोई इंसान तो होता नहीं।
प्रिय नहीं कोई शिवम् है बिन जरूरत के यहा
भाव कोई प्रेम का अब पिरोता है नहीं !