2 अक्टूबर
2 अक्टूबर
2 अक्टूबर के मायने
स्वच्छ और शुद्ध हो गए हैं
जबसे हम गन्दगी के
विरूद्ध हो गए हैं।
मन साफ हो न हो
देश का साफ होना ज़रूरी है
इंसानियत के मायने में
हम अभी भी रखते दूरी है।
कोई सुने या न सुने
पर अनसुना नहीं करना है
क्योंकि न सुनने की
सभी सेवाएं आप
सबके लिए अवरुद्ध है।
देश धर्म समाज जाति
भाषा रंग संस्कार
सब एक होना चाहिए
रंग रूप अलग भले हो
नहीं कोई मतभेद चाहिए।
तुमने जो सोच पाई है
उसकी यही दुहाई है
व्यवहार की आधुनिकता में
कहाँ कोई कमाई है।
उसका वही अपनापन
हमारे लिए अभी भी विशुद्ध है।