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akarsh pratap singh

Inspirational

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akarsh pratap singh

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गाँधी जयंती

गाँधी जयंती

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हिंदी साहित्य में गाँधी जी आ

धुनिक बुद्ध के रुप में प्रतिष्ठित हैं-

हिंदी साहित्य का आधुनिक काल

महात्मा गौतम बुद्ध और महात्मा गाँधी को

नया आयाम प्रदान करता है।


गौतम बुद्ध को कवि मैथिलीशरण गुप्त

यशोधरा में बुद्ध एवं गाँधी के मूल्यों को

नया आयाम प्रदान करते हैं-

कैवल्य काम भी काम स्वधर्म धरे हम

संसार हेतु शत बार सहर्ष मरे हम।


केदारनाथ मिश्र प्रभात तप्तगृह में 

बौद्ध दर्शन को मानवीय मूल्यों को स्वर देते हैं।

राजेश्वर प्रसाद सिंह अम्बपाली में बुद्ध की

मानवीयता को स्वर देते हैं।


सोहन लाल द्विवेदी बापू में गाँधी के

मानवीय स्वरुप को साकार करते हैं।

गोपाल चंद्र शर्मा गाँधी गौरव,

नटवरलाल लाल स्नेही गाँधी मानस,


गोपाल शरण सिंह जगदालोक,

विद्याधर श्री गाँधी चरित मानस,

रघुवीर शरण मित्र जननायक,

सुमित्रानंदन पंत मुक्ति यज्ञ,रमेशचन्द्र शास्त्री

देवपुरुष गाँधी की रचना करते हैं।


रामधारीसिंह दिनकर बापू में

गाँधीवादी मूल्यों को मानवीय 

स्वरुप प्रदान करते हैं-

कहो मार्क्स से डरे हुए का

गाँधी चौकीदार नहीं है 

सर्वोदय का दूत किसी 

संचय का पहरेदार नहीं है।


सुमित्रा नंदन पन्त लोकायतन में 

गाँधीवादी मूल्यों को संस्कृति से 

जोड़ कर मानवीय बनाते हैं।

युववाणी-ग्राम्य में उनकी स्पष्ट घोषणा है-

नव संस्कृति के दूत देवताओं का करने कार्य

मानव आत्मा को उबालने आये तुम अनिवार्य।


बापू तुम पर हैं आज लगे जग के लोचन

तुम खोल नहीं जाओगे मानव के भविष्य बंधन।

भवानी प्रसाद मिश्र गाँधी पंचशती में 

गाँधी को पुनर्जीवित करते हैं साहित्य में।


इस प्रकार गाँधी आधुनिक युग के

अहिंसावादी सत्यनिष्ठ बुद्ध हैं 

और विश्ववंद्य कालजयी प्रतिमान भी।


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