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akarsh pratap singh

Abstract

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akarsh pratap singh

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यही सवाल है

यही सवाल है

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हरकदम पर बवाल है 

ज़िन्दगी अब जलाल है

खून खराबा यहाँ वहाँ 

मान करता हलाल है

 

आज मिरज़ा कमीन बन

ताज का बस सवाल है

सल्तनत ज़ंग में मगर

साज़िशों में बिलाल है 


यूं तिरंगा क़दम क़दम 

हाथ लेकर  जमाल है 

हर बहारा सहर सहर

जीत देती कमाल है 


प्यार हरसू चमन चमन

शाद गुल से  निहाल है।


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