जिंदगी
जिंदगी
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ज़िन्दगी मुसीबत है अब
ज़िन्दगी नसीहत है अब
यूं ग़ज़ल सहर बन के है
इसलिए मुहब्बत है अब
दर्द है जमाने में यूं
शाद है इबादत है अब
जान की निसारी से ये
जीतती कयामत है अब
है चमन विहँसता दिलकश
शान है सहादत है अब
है बसर बहारों का ये
इसलिए सलामत है अब।