कर्म की राह
कर्म की राह
पूजा मेरा कर्म नहीं है, कर्म ही मेरी पूजा है
सच कहता हूँ इससे बढ़कर और नहीं दूजा है
इसी के बल पर मैंने अपना नाम कमाया है
मेरे जीवन का चिराग बन इसने राह दिखाया है
यही तो गांधी की लाठी बन सबके सम्मुख आया था
यह सुभाष का साथी बन जर्मनी घूम कर आया था
दलित मसीहा को इसने ही रस्ता नया दिखाया था
नेहरु का यह रूप ग्रहण कर बच्चों के मन भाया था
बलिदानी झाँसी-रानी संग रण में धूम मचाया था
हरिश्चंद को इसने ही सत्पथ का राह दिखाया था
इसी के कारण राघव ने बनवास सहर्ष निभाया था
भगत इसी से प्रेरित हो फाँसी को गले लगाया था
शेरे दिल आज़ाद ने अंग्रेजों को खूब छकाया था
मैं भी उसी कर्म के पथ पर निकल पड़ा हूँ
जिससे मैंने कुछ पल को विश्राम लिया था
वह चिरपरचित राहें जिससे गहरा रिश्ता है
जिसको मैंने जीवन का इक नाम दिया था
वही कर्म की डोर खींचती है अब मुझ को
जिससे प्रेम से बंट कर के अंजाम दिया था
उसी डगर पर आज जरुरत है चलने की
जिससे देश प्रगति के पथ पर पुनः बढ़ सके