बाल मजदूरी
बाल मजदूरी
एक रोज देखा मैंने
उस बाल मजदूर को
जो चिलचिलाती धूप में भी
बाल मजदूरी कर रहा था।
कलम और किताब की जगह
रुपया कमा रहा था
शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य
से दूर नियति उसे
बाल मजदूर बना रही थी।
इस समाज और देश पर एक
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है
कैसे यह देश उन्नति करेगा ?
कैसे यह समाज विकास करेगा ?
जहाँ बाल मजदूरी की समस्या
आज भी बनी हुई है
जिसका कोई स्थायी समाधान
यह समाज नहीं कर रहा है।
यह सब अनायास ही मैं सोचने लगा
जब मैंने उसे काम करते पाया
अतःहम सबको मिलकर
यही काम करना है।
बाल मजदूरी को अब
आगे बढ़ने से रोकना है।
