जिंदगी
जिंदगी
मर्जी कभी न चली तेरे सामने जिंदगी
जो मिला खुद की कोशिश समझे जिंदगी।
एक बार बस मर्जी से जीने की ख्वाहिश
मझधार में छोड रूठ जाना न तू जिंदगी।
ख्वाब हसीन तेरे संग जीने के देखे अक्सर
मोड़कर रास्ता यूँ हँसना ना मुझपर जिंदगी।
गुरूर, मायुसी चंद लब्ज़ सिर्फ तेरे लिए
उलझाकर वजूद इन्ही में रखा क्यों जिंदगी।
बस इक गुजारिश है तुझसे, मेरी एक ही
सुकून का रंग कभी छूटें न लबों से जिंदगी।
