ये अनोखा बदलाव!
ये अनोखा बदलाव!
प्रकृति का है ये नियम,
कि बदलाव है आवश्यक,
फिर चाहे वो हो,
प्रत्येक मौसम में पृथक।
और ऐसे है मेरे भाव,
जो मेरे भीतर है रह जाते;
हर क्षण बदलकर, मेरे भीतर,
बदलाव है ले आते।
और ऐसा है यह बारिश का मौसम,
जो किसी स्पर्धा में जीतने पर,
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होने पर,
या किसी भी अन्य चीज़ पर, खुश होने पर,
मुझे खुशी की बूँदों में,
भिगो देती है।
और ये सर्दी का मौसम,
जो तब आता है,
जब मैं होती हूँ चिंता में,
या घबरा जाती हूँ मैं।
और फिर आत है गरमी का मौसम,
मुझे सुकून पहुँचाने,
जब मैं होती हूँ इतनी व्यस्त,
कि पसीना झलकता है मुँह पे,
और इन म्औसमों के बारे में,
सोचने का अवसर मिलता नहीं।
ऐसे है कई अन्य मौसम,
जो बदलते रहते है प्रतिक्षण,
क्योंकि किसी एक मौसम या
भाव के साथ जीना कठिन है,
बदलना है इन्हें,
बदलाव तो है ज़रूरी,
जीने के लिए।
