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Harshita Dawar

Inspirational

5.0  

Harshita Dawar

Inspirational

मां की वेदना

मां की वेदना

1 min
374


दिल की वेदनाओ को यूं इस कदर झंझोड़ लिया

दिल को दस्तक देकर क्यूं फिर अंगारों में झोंक दिया

दिल में जकड़े जिस्म को क्यूं कांटों से पिरो दिया

कोख से जन्मी बेटी को मेरी

पीड़ा का हम सारथी क्यूं बना दिया।


क्यूं उसको बचपन में ही भोगी बना दिया

किस्मत का लिखा मै मां बन कर चुकाऊंगी

बेटी की मान इज्ज़त को दांव पर ना लगाउंगी

दिल में उतर गई पैदा होते ही बेटी मेरी परछाई।


यूं परछाई को लुप्त ना होने दूगी

मेरे वेदनायो से कोसों दूर कर दूंगी

मेरी ये ओढ़नी में लगे ख़ून के धब्बों को खुद ही मिटाती रहूंगी

बचपन की दहलीज को यूं ही नहीं लांघने दूंगी।


अकेली ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई का सामना करूंगी

मां बन कर उसको अपने आंचल में ढाक लूंगी 

काले बादलों की परछाई भी ना लगने दूंगी

डगमगाती राहों पर खुद को कंकर चुभने दूंगी।

  

मेरी क़िस्मत में लिखें आरोपों को खुद ही महसूस करुंगी

अब बचपन की दहलीज लांघ बैठी है

मेरी बेटी मेरी हम राही बन रही है

मेरे अश्कों को अपने दिल के एहसासों से यूं पोंछ देती है।


मानो वो मेरी सांसें जीने लगी है

क्योंकि मां बेटी की सबसे अच्छी दोस्त बन जाती है

ख़ुशी गम वेदनाएं आरोपों के बवंडर में यूं खोती जा रही थी

हर्षिता की भूमिका सी किरण बनकर ज़िन्दगी में लाई थी।


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