हिन्द के वासी
हिन्द के वासी
हमारी शान को मत ललकारो
हमारी आन को मत ललकारों
हम हिंद के जगमगाते दीपक है
हमे अंधेरा कहकर मत पुकारो
हम दरिया में उठती हुई मौज है,
हमे हिंद का वासी कहकर पुकारो
हम नही ये इतिहास बताता है,
सोने की चिड़िया कहकर पुकारो
जो हमसे लड़ा चकनाचूर हुआ है
ख़ूब उड़ा नभ में तिरंगा हमारा है
क्या मुगल,क्या अंग्रेज,क्या अन्य,
हर आताताई को हमने संहारा है
सब सँस्कृति को शामिल किया है,
वसुदेव कुटुम्बकम का दिया नारा है
हम सरल है,शत्रु के लिये गरल है
हमारे स्वाभिमान को मत ललकारों
हम हिंद के वासी है,
सत्य,अहिंसा की राशि है,
पर समय-समय पे दुष्टों को,
हमने मारा है
हमारे सत्य को मत ललकारों
हम भारत के सीधेसाधे लोग है
हमारे ईमान पे पत्थर मत मारों
हम मेहनत की खाते है,
हमारे हाथो में बस यारों,
सत्य की जंजीर डालों!