मीठे बोल
मीठे बोल
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ग़र किसी की राह,फूलों से सजा सकते नहीं,
कम से कम काँटों से मत तुम, रास्ता दुष्कर करो,
ग़र किसी से प्रेम के दो बोल,कह सकते नहीं,
कम से कम कड़वी जुबाँ, मत बोल कर मुश्किल करो,
इस जहाँ में कुछ नहीं ऐसा है जो रह जाएगा,
सिर्फ मीठे बोल से,तू याद रखा जाएगा,
अपनी इस अनमोल वाणी को,सदा शोधित करो,
ग़र नहीं मरहम बने तो घाव बनकर मत चुभो,
लोग अक्सर दूसरों में गलतियाँ गिनते रहे,
जो कमी खुद में है सारी जानकर ढँकते रहे,
तुम अगर काबिल हो,लोगों को पता चल जाएगा,
अपनी ही तारीफ,अपनी ही जुबाँ से मत करो।