"भारत के खून का उबाला"
"भारत के खून का उबाला"


समंदर में उठ जाती ज्वाला है
भारत के खून में वो उबाला है
जिसने भी देखा बुरी नज़र से,
उन आंखों को फोड़ डाला है
जिसने बेवजह हमको छेड़ा,
उसे कर दिया हमने टेढामेड़ा,
भारत के लहू में वो ज्वाला है
शत्रु को बनाया हमने साला है
हिंदवासी शांतिप्रिय जरूर है,
हमारी रगों में खोलता खून है,
कभी शिवा,क़भी प्रताप बन,
दुश्मनों को हमने काट डाला है
भारत के खून में वो उबाला है
पत्थरो को भी पिघला डाला है
रानी लक्ष्मीबाई बनकर इसने,
अंग्रेजो को जिंदा जला डाला है
स्वाभिमान के लिये जीतेहैं,
स्वाभिमान के लिये मरते हैं,
लाख प्रलोभन देने पर भी,
यहां प्रताप हिम्मतवाला है
80 घावों पर सांगा लड़ता है,
काल भी जिससे डरता है,
यहां हरपुष्प की ऐसी माला है
भारत के खून में वो उबाला है
चमतकौर युद्ध कौन भूला है,
जिसने इतिहास लिख डाला है,
केवल 40 ख़ालसाओ ने,
10 लाख मुगल सैनिकों को,
मिट्टी में मिला डाला है
शीश कटे तो भी धड़ लड़े,
ये कल्ला राठौड़ का भाला है
क्षत्राणी सिस निशानी देती है,
सहजकंवर जैसी हरबाला है
भारत के ख़ून में वो उबाला है
हर शख्स ही यहां निराला है
अंधे होकर भी पृथ्वीराज ने,
मोहम्मद गौरी को मार डाला है
कारगिल की ऊंची चढ़ाई हो,
मरुस्थल की तपती रेत हो,
हर स्थिति मे यहाँ पर सिपाही,
होता फ़ौलादी जिगरवाला है
भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु,बोस
अशफाक,बिस्मिल,आज़ाद,आदि
सबने इनका ही आदर्श पाला है
शायद यही वजह है,इसलिये यहां,
सारे पीते देशभक्ति का प्याला है
मैंने हिंद की धरती पर जन्म लिया
ये साखी तो बड़ा किसम्मतवाला है,
भारत के ख़ून में वो उबाला है
कण-कण में शहीदों का छाला है!