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Shirish Pathak

Romance

3  

Shirish Pathak

Romance

ख्याल नहीं तुम्हारा

ख्याल नहीं तुम्हारा

1 min
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तुम को देखता हूँ खुद के थोड़ा और करीब

जब बारिश आ जाती है झूम कर

तुम न जाने क्या कह जाती हो मेरे कानों में

जो मैं कोशिश करता हूँ समझ लेने की

तुम्हारी बातों को याद कर के


कभी तुम संभालती थी हवाओं से अपने

बालों को उड़ जाने से

और कभी छाता बना लिया करती थी

तुम अपने दुपट्टे को

लेकिन एक सुकून भरी मुस्कराहट

दिख जाती थी

जब भी बूंदे छुप के गिर जाया करती थी

तुम्हारे चेहरे पर


अच्छा लगता है तुम्हारा होना मुझ को

हमेशा प्रभावित करते हुए

तुम किसी ख़ूबसूरत सी शाम सी लगती हो

जिसको मैं रोक लेना चाहता हूँ अपने पास

ताकि मैं देखता रहूँ तुम को तुम्हारे साथ

में बैठ कर


तुम्हारी बातों को सुनते रहने में एक

कमाल का सुख मिलता है

एक मिठास सा घुल जाता है जब भी

तुम कहती हो कई बातें

कुछ न कुछ भूल जाता हूँ हर बार

तुम को देखकर

लेकिन तुम न जाने क्यूँ कह देती हो

पहले बोलते न


तुम वक़्त देती हो, पूछती हो

मेरे घर पहुँच जाने पर

और फिर भी न जाने क्यूँ मुस्कुरा के

कहती हो, ख्याल नहीं तुम्हारा

तुम्हारे साथ अब बेहतर समझने

लगा हूँ खुद को

क्योंकि तुम को खुद के और करीब

पाने लगा हूँ मैं...



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