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Bikram Kumar

Romance

3  

Bikram Kumar

Romance

हम भी देखेगें

हम भी देखेगें

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उनके रुख पर शिंकन का नजारा हम भी देखेगें। 

डूब कर इश्क़ के दरिया मे किनारा हम भी देखेगें।। 


दिल के टुकड़ों को अपने हाथों से हमने दफनाया है। 

अपने जज्बातों को भी उन्होनें बखूबी से छुपाया है।। 

हमारे सामने वो हो जाएगी किसी और की,

उनकी रुख़सती का वो आलम सुहाना हम भी देखेगें। 

उनकी बोलती आँखों का खामोश हो जाना हम भी देखेगें।। 


अब कौन सा उनके करीब जाकर दीदार-ए-यार करना है। 

अब उनसे निगाहे फेर के ताउम्र उन्ही से प्यार करना है।। 

अपने बदलते इरादों के बीच,

अपनी बेरुखी भरी मोहब्बत का ये कारनामा हम भी देखेगें।

प्यासे रहकर उनकी डबडबी निगाहों का पैमाना हम भी देखेगें।। 


उनकी तस्वीर छुपा रखी है मैने अपनी पलकों के तले।

उनकी ख्वाईशों की ख़ातिर रात दिन ये परवाना जले।।

अब अपनी हसरत है बस यही

उनकी दुआओं का मुक्कमल हो जाना हम भी देखेगें। 

मेरे इश्क़ मे उस पत्थर दिल का तड़प जाना हम भी देखेगें।। 


उम्मीद जगाकर दिल तोड़ना तकदीर की पुरानी आदत है। 

मेरी मासूम मोहब्बत से उस हसीं को बहुत शिकायत है।। 

उनकी झुकती उठती पलकें एक इशारा है,

इन पलकों के झुकने उठने का तमाशा हम भी देखेगें। 

कैसे मिलता है बैचेन दिल को दिलासा हम भी देखेगें।।


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