काश!
काश!


चाहते हैं हम उसे इस कदर कि
काश ! वो यादों में हर बार लिए मिले
भटकते रहता हूँ उसकी गलियों में कि
काश ! एक बार उसका दीदार मिले।
कत्ल कर जज्बातों से उसने होली मनाई
काश! उसे दिवाली का ही त्योहार मिले
तो क्या हुआ अगर वो प्यार नहीं करती हमें
खुदा करे कि उसे हमारे जैसा कोई यार मिले।
माना हमें झलक मिलती है मुश्किलों से
काश ! उसे महबूब का प्यार हर बार मिले
वो मागना चाहे फूल चंद खुशियों के और
काश! उसे यार की बाहों का हार मिले।
वो करती रहें बचकानी सी हरकतें
काश! यार उसे बड़ा ही होनहार मिले
रूठ जाए जो जिंदगी कभी उससे तो ये व
काश! उसे जिंदगी का नया सार मिले।
चाह करते रहे लोग सच्चे दिल से
काश ! किसी को मेरी तरह ना हार मिले
कोई इजहार करे इश्क में अगर तो
उसे महबूब भी उसका तैयार मिले।