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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

Inspirational

ख्वाहिश

ख्वाहिश

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कुछ ख्वाहिशें अंगड़ाई लेती जो ज़ार-ज़ार हैं..

विरह की बेला संग चक्षुओं में अश्रु धार हैं..

उन लम्हों का बेसब्र सदियों से इंतज़ार है..

हाँ मुझ में कुछ उदगार हैं....

जो झलक मिट न पाई..

अनवरत बसता मुझमें वो ख़ुमार है..

चंद साँसे यह जो ढाई अक्षर का प्यार है

महसूस कर जरा कुछ क़रीब से..

बेशुमार झरती दौलतों का यह संसार है

सब्र कर ज़रा मिट जाएंगी वक्त की परतों परत पर

दरमियाँ मौजूद जो हमारे इक दरार है

की है मैंने अपनेपन की खेती और डाले हैं कुछ हौसलों के बीज..

यही मेरे अनमोल जीवन का पनपता व्यापार है..

रूठना, मनाना, गिला, शिकवा और शिकायत...

पोटली में अशरफ़ियों की खनकती यही धार है

सुन ज़रा ग़ौर से...कह रहे जो लम्हे..

मानिंद जो बीते सीप के मोती से..

दहलीज़ पर खड़ी तुम्हारे जो दीवार है

माना खूबसूरती छीन ली वक्त की पड़ती उन झुर्रियों ने

फिर भी चमक आँखों की कह रही..

सिमटता आज भी तेरा नूर इनमें बेशुमार है

तसव्वुर में बैठा रहा ये दिल उस दम तक..

फ़क़त तेरी छनक ना मिलने पर..

ये दिल बार-बार यूँ ही बेज़ार है..



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