ख्वाहिश ....
ख्वाहिश ....
ख्वाहिश की लीस्ट लंबी बनाई थी मैंने.....
जब में उम्र में छोटी थी.....
जैसे जैसे बढ़ी होती गई...
उम्र बढ़ने लगी...
हकीकत से हूबहू होती गई...
लीस्ट छोटी होती गई...
क्योंकि कि छोटी थी ना तो...
ख्वाहिश पूरी करने की उम्मीद
मम्मी पापा से रखती थी..
लेकिन जैसे जैसे बड़ी होती गई...
समझ ने लगी कि ख्वाहिश तेरी...
तो कोई और क्यू पूरा करे...
अरे तू उम्मीद भी क्यू रखती है..
फिर वो मम्मा पापा ही क्यू ना हो..
तू बना लिस्ट अपनी ख्वाहिश की ..
कौन तुझे मना कर रहा है...
पर इतना समझ के बना की पूरी....
तुझे ही करनी हैं किसी भी हाल में।
