ख्वाबों में नहीं हकीकत में
ख्वाबों में नहीं हकीकत में
कल पहली दफा मिले थे हम,
ख्वाबों में नहीं हकीकत में,
अब तक देखती थी तुम्हें,
ख्वाबों में, तस्वीरों में।
बातें भी खूब किया करते थे
लेकिन जब हुए हकीकत से रूबरू,
तो ना जाने क्यों खामोश से थे हम।
कल पहली दफा मिले थे हम,
ख्वाबों में नहीं हकीकत में।
बोलना बहुत कुछ चाहते थे,
बहुत कुछ था कहने को
पर नहीं मालूम क्यों
जड़ से हो गये हम।
हर वक्त बेताब रहता था दिल
मिलने को तुमसे, पाने को साथ तुम्हारा,
पर आये सामने तो
ना जाने क्यों मौन से थे हम।
कल पहली दफा मिले थे
ख्वाबों में नहीं हकीकत में।