ख्वाबों की डगर
ख्वाबों की डगर
कुछ ईस कदर कभी बैर कर जाती जिंदगी
नामुकम्मल ही गुजर जाती जिंदगी
बहकी बहकी बातें कर मन को बहलाना
ख़्वाबों की डगर पे बेमुराद टहलाना
फिर कोई सपना दिल को सच्चा लगना
मगर फिर यह ख़्वाबों का मकान कुछ कच्चा लगना
क़दमों का पीछे हटना मुश्किल हो जाना
मन की डोर पर से काबू खो जाना
ईस कश्मकश में वह ख्वाब छूट जाना
दिल का जुड़ते जुड़ते फिर टूट जाना
उस ख्वाब को फिर हसरत में पाना
जहन जाग जाए तो खो देना मगर फिर से खो जाना
लगातार इसी बंदिश में दिल का दम घुटना
दिल ने दिल से दिल का सब कुछ लूटना
यूँ बेघर होकर दिल का मजबूर हो जाना
और उसी ख्वाबों की डगर पे खो जाना
कुछ ईस कदर कभी बैर कर जाती जिंदगी
नामुकम्मल ही गुजर जाती जिंदगी।