मेरा तेरा रिश्ता
मेरा तेरा रिश्ता
कैसा है यह दिल का रिश्ता
ना पूरा ना आधा
ना रिश्तों का बंधन कोई
ना ही कोई वादा
ना मेरी माथे की बिंदिया
ना ही चूड़ी कंगना
ना ही डोली लेकर आए
तुम ही मेरे अंगना
पर फिर भी हो दुख के साथी
और हो मन के मीत
ना ही हो तुम हो प्रीतम मेरे
ना ही मेरी प्रीत
ना ही हो तुम जीवन मेरे
ना सारा संसार
लेकिन फिर भी पाया तुमसे
मैंने प्रेम अपार
तुमसे मैंने पढ़ना सीखा
विकट समय से लड़ना सीखा
भरती थी आहें मैं पल पल
अब अपना दम भरना सीखा
तुम ही मेरे श्रेष्ठ मित्र हो
तुम ही गुरु और ज्ञान
तुम ही मेरे मात-पिता और
तुम ही हो भगवान
पल पल करता क्रंदन जो मन
तुमने ही समझाया था
सत्य कहूं डूबी नैया को
तुम ही ने पार लगाया था
तुम मेरी करुणा और ममता
तुम पूजा के फूल
धन्य हो जीवन जो मिल जाए
इन चरणों की धूल।