जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी उदासीन हो जाए
उदास अंतर्मन हो जाए
यादों को बुला लीजिए ,
कुछ हंस लीजिए
कुछ रो लीजिए
निजता का अभाव खले
मन अपनेपन को मचले
मां पिता संग बैठिए
बचपन याद कीजिए
जीवन में मौन पसरने लगे
मन बेचैन सा रहने लगे
दोस्तों को बुला लीजिए
ठहाके लगा लीजिए
हंसी मजाक कीजिए
एहसास मरने लगे
निराशा घर करने लगे
किताब कोई पढ़ लीजिए
गीत कोई सुन लीजिए
तन का स्वास्थ्य बिगड़ जाए
मन का संतुलन बिगड़ जाए
माटी संग समय बितायें
पेड़ पौधों संग बतियायें।