STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

शंकर छंद...

शंकर छंद...

1 min
176

मानवता भी रक्षित होगी,रखिए सुविश्वास।

संभल-संभल कर तुम चलना,होना मत निराश।

मानवता भी रक्षित होगी...


लोग अहम् को धर कर सब जन ,हो गए हैं खार।

गुलशन में भी आज लगे हैं,शूल के अंबार।।

जीव कई हैं इस जग में जी,देख कई हजार।


सावन के फिर मेले होंगे,मेघ के उस पार।।

पतझड़ को बस जाने दो तुम,आ रहा मधुमास

मानवता भी रक्षित होगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract