इच्छा
इच्छा
ये मन बहुत चंचल होता है,
हर पल हर क्षण कुछ नई,
इच्छा इसके अंदर पनपती है,
जिसमे कुछ पूरी होती हैं तो,
कुछ अधूरी इच्छा रह जाती है,
इंसान की इच्छा कभी पूरी नहीं होती,
बेघर वालो को घर की चाहत,
घर वालों को बंगले की चाहत,
बंगले वालों को कोठी की चाहत,
भूखों को रोटी की इच्छा,
जिन्हे मिले वह चाहे और अच्छा,
पैदल से साइकिल की इच्छा,
साइकिल से बाइक की इच्छा,
बाइक है तो कार की इच्छा,
ये इच्छा जिस दिन पूरी हुई,
समझो इंसान का दिन अंतिम हुआ।