धन की चुनौती
धन की चुनौती
धन की बात जुड़ी हो तेरे हर पल से,
तो भी जहन से बस यही बात निकालनी है
संचय तो कर पर संतोष का
कीमती बस यही इक चीज़ सम्हालनी है
चुनौती तो हर घड़ी होगी तेरे सामने
हार मान लेने की बजाए हर एक लड़ाई लड़नी है
सोचना होगा बहुत कुछ थोड़े से ही वक्त में
खूब सोचने की आदत गुजरे जमाने पर छोड़नी है
शुरुआत में बस तसल्ली ही देते रहना है खुद को
कभी बात बननी तो कभी बिगड़नी है
आज सुबह का सपना आज दिन में सच तो ना होगा
हालत बस धीरे-धीरे सुधरनी है।
पर हाँ खुद को बचाना है इस परिवर्तन से
सच्चाई की सरगम ही सदा अलापनी है
अडिग रहना है अपने तौर तरीकों पर
दुनिया ही खुद तेरे आगे डिगनी है
इसलिये धन की चुनौती स्वीकार कर
हर मनके में मेहनत की लड़ी पिरोनी है।
डटे रहना है हर मुश्किलों के आगे
कल सपनों की दुनिया साकार होनी है।