किताबों से नाता ..!
किताबों से नाता ..!
अब कोई चाहता है क्या
किताबों में डूब जाना
अक्षरशः उनको पढ़ना...?
अब कोई चाहता है क्या
किताबों को खोलना
शब्दों की दुनिया में खोना
भावों में दूर तक बह जाना...?
अब कोई चाहता है क्या
किताबों को खोलकर
शब्दर्थों को समझना
उनसे परिचय करना
अज्ञात से ज्ञात की ओर बढ़ना..?
अब कोई चाहता है क्या
किताबों संग घंटों समय बिताना
बेवजह उनमें डूबे रहना बहकर
उनमें लम्बे सफ़र पर निकल जाना...?
नहीं चाहता है कोई
किताबों से कोई नाता हो
नहीं होती किसी कक्ष में
ज़रूरी किताबों की आलमारी
कौन पूछता है इनको अब
जब जमाना है डिजिटल. .!
ई बुक्स है ऑनलाइन
खर्च कौन करे इन पर
जब है हाथ में एंड्रॉयड मोबाइल
दुनिया सब सिमट गई इसमें
अब कौन खोलता है किताब..!