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Rita Jha

Romance

4  

Rita Jha

Romance

खुशियों की बारात

खुशियों की बारात

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जीवन में खुशियों की बारात आई है।

संग जिसके पलकों पर शाम सजाई है।।


बैठी हूँ अकेले चारों तरफ बस तन्हाई है।

आ जाओ कि सुरमई शाम आज आई है।।


आज ये कैसी इंतहा, इंतजार की हो गई है,

खुशनुमा माहौल है, तू न आया तो रुसवाई है


मुद्दतों बाद आज यह समां बंध आई है।

आ जाओ कि शाम ने बजाई शहनाई है।


दफ़न दिल में हैं राज जिसे आज खोलने हैं।

अनकही जो है, कह देने की हिम्मत जुटाई है।


इस दिल दीवाने ने पलकों पर शाम सजाई है

अब आ भी जाओ देखो शाम बहुत गहराई है!




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