खुशियांँ तेरा इंतजार कर रही है
खुशियांँ तेरा इंतजार कर रही है
बेजान बारूद के कणों में,
कुछ छुपे हुए, कुछ दबे हुए क्षणों में,
तेरी ज़िंदगी की खुशियांँ तुझे पुकार रही है।
तू आगे ही बढ़ाता रहा अपने कदम,
जिन खुशियों को तूने किया अनदेखा हरदम,
वही छोटी-छोटी खुशियांँ तेरा इंतजार कर रही है।
कुछ ज़्यादा पाने की चाहत में,
तू जीता रहा है हर लम्हा ग़म की आहट में,
यही ग़म की आहट तेरे सुनहरे पल को छीन रही है।
ज़िन्दगी तो है ही सुख-दुख का नाम,
कभी कांँटों सा दर्द तो कभी मखमली आराम,
इन्हीं एहसासों से तो ज़िंदगी तुझे जीना सिखा रही है।
सीख ले हर परिस्थिति में मुस्कुराकर जीना,
हर लम्हे को खास बना ले यही है ज़िन्दगी का कहना,
अंँधेरे की क्यों परवाह करता भोर तेरा इंतजार कर रही है।