Shailaja Bhattad
Classics
खोने के भय से न जीए इसे
दुख के भय से न खोए इसे।
हो जब रूबरू खुशियों से
तो जी भरकर जी ले इसे।
इंद्रधनुष
माँ अम्बे
श्री राम
माँ जगदम्बा
होली
भक्त वत्सल रा...
बसंत पंचमी-1
वसंत पंचमी
प्रसन्न हुए असुर और देवता बड़े उत्साह से समुन्द्र मथने लगे! प्रसन्न हुए असुर और देवता बड़े उत्साह से समुन्द्र मथने लगे!
अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ। अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ।
श्री शुकदेव जी कहें, परीक्षित अम्बरीष मान्धाता के श्रेष्ठ पुत्र थे । श्री शुकदेव जी कहें, परीक्षित अम्बरीष मान्धाता के श्रेष्ठ पुत्र थे ।
आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता की खाई थी आज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता क...
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान् शंकर ने जब सुना ये कि असुरों को मोहित करने को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान् शंकर ने जब सुना ये कि असुरों को मो...
जन्म जन्म के लिए ऋणी तुम्हारा मुझे उऋण कर सकती तुम सभी। जन्म जन्म के लिए ऋणी तुम्हारा मुझे उऋण कर सकती तुम सभी।
इन्द्रियों को वश में रखे वो दास समान छोटा अपने को माने । इन्द्रियों को वश में रखे वो दास समान छोटा अपने को माने ।
अरिष्टासुर नाम का दैत्य एक आया रूप बैल का धर के । अरिष्टासुर नाम का दैत्य एक आया रूप बैल का धर के ।
जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी. जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी.
मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी! मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी!
परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए। परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए।
श्रीशुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित वासुदेव गोकुल से लौट आये जब. श्रीशुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित वासुदेव गोकुल से लौट आये जब.
श्री शुकदेव जी कहें, हे परीक्षित सातवें वैवस्वत मनु हैं! श्री शुकदेव जी कहें, हे परीक्षित सातवें वैवस्वत मनु हैं!
नलकूबर और मणिग्रीव को नारद ने शाप दिया किस कारण से। नलकूबर और मणिग्रीव को नारद ने शाप दिया किस कारण से।
इस कलप के वैवस्वत मनु हुए पुत्र उनके थे इक्ष्वाकु आदि। इस कलप के वैवस्वत मनु हुए पुत्र उनके थे इक्ष्वाकु आदि।
काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत। काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत।
विरहावेश में गोपियाँ गाने लगीं हमारे व्रज की महिमा बढ़ गयी। विरहावेश में गोपियाँ गाने लगीं हमारे व्रज की महिमा बढ़ गयी।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित पूरी शक्ति से प्रहार करने लगे ! श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित पूरी शक्ति से प्रहार करने लगे !
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया।
अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के । अक्रूर जी कहें कि आप कारण हैं प्रकृति आदि समस्त कारणों के ।