Jalpa lalani 'Zoya'
Romance
खुश्बू का पीछा करते करते
हम एक बगिया में आ गए,
हम एक फ़ूल तक आ पहुँचे,
फ़ूल की पूरी बगिया में
बस एक फ़ूल भा गया हमें,
उसी फ़ूल की ख़ातिर
आज हम भी भवँरा बन बैठे,
ऐसे समाए उसकी आग़ोश में
जैसे बहार आ गई मौसम में।
किताब-ए-ज़िन्द...
राब्ता
तिश्नगी-ए-क़ुर...
दिलनशीं
चाहत तेरी
पास आओ कभी
ज़ुल्फ़ का साया
हमसा कहाँ मिल...
तू है गीत मेर...
नाउम्मीदी में...
दिल को, सुकून दे जाती हैं क्यों ? याद तुम्हारी आती हैं क्यों ? दिल को, सुकून दे जाती हैं क्यों ? याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?
वो रात मेरे सामने बैठी थी और मैं हद से गुजर बैठा। वो रात मेरे सामने बैठी थी और मैं हद से गुजर बैठा।
और क्या कहे आज भी लिखी है दिल पे नाम तुम्हारी। और क्या कहे आज भी लिखी है दिल पे नाम तुम्हारी।
तू है इश्क के काबिल , तू है इश्क के काबिल ,
मेरी कामिनी हो तुझे ही गाया मैंने तुझे जाना.....। मेरी कामिनी हो तुझे ही गाया मैंने तुझे जाना.....।
समझ लेना सीने से लगा कर याद किया होगा हमने। समझ लेना सीने से लगा कर याद किया होगा हमने।
साथी हमेशा कोई मिलें न मिले, यादें ही है जो हर दम़ साथ निभाए। साथी हमेशा कोई मिलें न मिले, यादें ही है जो हर दम़ साथ निभाए।
ह्रदय में बसी प्रेम की पराकाष्ठा उसके अधरों पर मन्द मन्द मुस्करा रही थी। ह्रदय में बसी प्रेम की पराकाष्ठा उसके अधरों पर मन्द मन्द मुस्करा रही थी।
जताना तभी तू अपनी वफ़ा को जब मुझे अपनी आखों में बसा के तू रख ले। जताना तभी तू अपनी वफ़ा को जब मुझे अपनी आखों में बसा के तू रख ले।
मोती के लिए समन्दर में डूबना होता है। मोती के लिए समन्दर में डूबना होता है।
इश्क़ की इबादत और ख़ुदा दोनों की मोहब्बत से मुलाक़ात हुई ! इश्क़ की इबादत और ख़ुदा दोनों की मोहब्बत से मुलाक़ात हुई !
गीला चांद, ठहरी हुई कश्ती में बहते हम, एक हसरत! गीला चांद, ठहरी हुई कश्ती में बहते हम, एक हसरत!
उन ख्वाबों का नशा चढ़ा, मुझ पर किसी शबाब सा। उन ख्वाबों का नशा चढ़ा, मुझ पर किसी शबाब सा।
बाहों में बाहें डाल बैठ कर तीरे, मीठे प्यार का सरगम छेड़ कर बाहों में बाहें डाल बैठ कर तीरे, मीठे प्यार का सरगम छेड़ कर
हो मेरी रोशनी, तेरी हर बात में, तू हँसता रहे, मैं मुस्कुराती रहूँ। हो मेरी रोशनी, तेरी हर बात में, तू हँसता रहे, मैं मुस्कुराती रहूँ।
काश मैं तुमको जीते वक्त, थोड़ा सा ख़ुद को भी जीने का वक्त देता। काश मैं तुमको जीते वक्त, थोड़ा सा ख़ुद को भी जीने का वक्त देता।
जहाँ हो तो बस चैन, सुकून और खुशियाँ इंतज़ार है मुझे वो सुबह कभी तो आएगी। जहाँ हो तो बस चैन, सुकून और खुशियाँ इंतज़ार है मुझे वो सुबह कभी तो आएगी।
तेरी ही चाहत का असर है, जो जीने की कला सिखलाती रही। तेरी ही चाहत का असर है, जो जीने की कला सिखलाती रही।
बिना जुदाई के हरगिज़ नहीं मिलता लुत्फ़-ए-वस्ल मेरे यारों, दिल में इतनी मोहब्बत की कसक बिना जुदाई के हरगिज़ नहीं मिलता लुत्फ़-ए-वस्ल मेरे यारों, दिल में इतनी मोहब्बत...