खुली किताब
खुली किताब
हमारी जिंदगी,
एक खुली किताब है !
हर पन्नों पर,
हर चीज का हिसाब है !
हमारी लेखनी,
को पढ़के,
हमें आप जान पाएंगे !
हमारी व्यथा,
और उत्कण्ठाओं को,
पहचान पाएंगे !
कोयल की बोली,
ही उसकी पहचान,
होती है !
ह्रदय के छोर,
में बसकर,
मृदुलता सबको देती है !
राग से ही सुरों ,
को हम परखते हैं !
वीभत्स रागों को,
गर्दर्भ राग कहते हैं !
मूकता से हम कहाँ ,
समझे किसीको ?
बोलकर लिखकर ,
दिखाते अपनी क्षमता ,
हम सभी को !
तस्वीर में मिल जाती है !
गुण हमारे व्यक्तित्व का,
लेखनी में मिल जाती है !
हमारी जिंदगी ,
एक खुली किताब है !
हर पन्नों पर,
हर चीज का हिसाब है !
