खुद को तू पहचान जरा
खुद को तू पहचान जरा
कोई नहीं समझेगा तुझ को
तू खुद को ही पहचान जरा
दुनिया से क्यों लड़ना तुझ को
खुद पर विश्वास कर लो जरा
उम्मीद और हौसलों के साथ
खुद को तू बदल जरा
जितना भी मजबूत हो उस से
मजबूत बन के दिखा जरा
कभी ख्वाबों में जो है उड़ान भरी
उन ख्वाबों को सच कर जरा
उन सपनों को बुनकर हकीकत में
खुद को तू पहचान जरा
अपने अंदर की आग से लड़ जरा
कभी अंगारों पर चल जरा
मंजिल को पा जाओगे एक दिन
खुद को ले पहचान जरा
मन को थोड़ा शांत रखकर
अपने इच्छाओं को जान जरा
नकारात्मकता से दूर होकर
अपने मकसद को पहचान जरा
मिल जाए विरासत में
कितना भी दौलत शोहरत
अपनी पहचान को तो खुद ही
पहचान कर उभार जरा
दिल में जो उदासी है छाई
गुबार जो दिल में है भरा
जरा सुकून से बैठकर
दिल से कर ले दूर जरा
हर कुछ चाहने से नहीं होता
कुछ वक़्त भी लेता फैसला
सुन लो सभी के मन की बात
फिर दिल जो कहे वह कर जरा
दौड़ाती है जिंदगी हमें
पर जहां मिलती हमें तसल्ली
हम ठहरते हैं वहां
इस पर गौर कर लें जरा
ख्यालों की लहरें जो मन में
मचल रही समुन्दर की तरह
उन लहरों को तू शांत कर
खुद को ले पहचान जरा
ईश्वर ने जो रची है हाथों में
शायद किस्मत की लकीरें
उन लकीरों की अच्छाइयों को
खुद में उभार कर देख जरा
नहीं पता हमें ईश्वर का आशय
कब कहां क्या हो जाए
तब आंख बंद कर ईश्वर पर
विश्वास तू रख लें जरा
ना खो दो भीड़ में अपनी पहचान
ना होगी चेहरे से सिर्फ पहचान
सच तो ये है कि हमें हमारे
व्यवहार से होगी पहचान
कभी दिल की बातें सुनकर
दिल से गुफ्तगू कर ले जरा
खुद से गिला ना कर कभी
खुद से ही तो मिल जरा