खुद को न बदलो
खुद को न बदलो
दूसरों के ख़ातिर खुद को न बदलो
अपने भीतर की रूह को न बदलो
जैसे हो आप वैसे ही बहुत अच्छे हो,
दूसरे के लिये अपना बर्ताव न बदलो
आप मस्त हो,भीतर से बड़े ससख़्त हो,
दूसरों के ख़ातिर अपना तख्त न बदलो
अपने चेहरे पे दूसरों की परत न दो
दूसरों के खातिर खुद को न बदलो
कोहिनूर को कहने की जरूरत नही है
उसमे रोशनी है,उसे न रोशनी की कहो
हीरे को तुम कोरा एक पत्थर न समझो
वो स्वतः रोशन होगा,तुम दीप सा जलो
दूसरों के खातिर खुद को न बदलों
ख्वाबों को ज़माने के लिये न तोड़ो
आप स्वस्थ आदमी हो,स्वस्थ ही रहो
दूसरों के कहने से रास्ते को न बदलो
मिलेगी मंजिल,खिलेगी हर महफ़िल,
दूसरों के कहने से चाल को न बदलो
दूसरों के खातिर खुद को न बदलो
यूँ अपनी स्व:खुश्बु को न भूलने दो।
