STORYMIRROR

Anjana Singh (Anju)

Inspirational

4  

Anjana Singh (Anju)

Inspirational

खुद ही मैं

खुद ही मैं

1 min
329

खुद से खुश हो लेती हूं 

जिंदगी जी लेती हूं

चाहे जैसे भी रहूं 

मैं तो खुद मैं ही हूं


खुद पर मुझको आस है 

खुद पर ही विश्वास है

क्यूं करूं परवाह किसी की

जो इच्छा है करूं वो मन की


कब क्या करूं क्या नहीं

यह क्यों करूं परवाह

मन करता है वही करूं

जो दबा रखी थी चाह


सबको बहुत संभाला मैंने

अब खुद को भी संभालना है

दूसरों के लिए तो बहुत जिया 

अब खुद के लिए भी जीना है


घर को संवारने के साथ-साथ

खुद को भी थोड़ा संवारना है

अपने कुछ ख्वाहिशों को

फिर से गले लगाना है


अपनी अधूरी इच्छाओं के संग 

जीऊंगी जिंदगी के नये ढंग 

भूली-बिसरी उम्मीदों के रंग में 

जी लुंगी जिंदगी उमंग में


बच्चों का हर पल साथ दिया

हूं तो ममता की मूरत

खुद को भी थोड़ा समझ लूं मैं 

खुद को मुझे है खुद की जरूरत


अपनी तमन्नाओं के संग 

मैं बढ़ती जाऊंगी

नए सफर की नई रोशनी में 

फिर से जगमगाऊंगी


कभी बचपन में जाकर

जिंदगी दोबारा जी लुंगी

तितलियों परिंदों के संग

कभी फुर्र से उड़ जाऊंगी


समय के साथ

मैं क्यूं ना बदलूं

जरा खुशी के रास्ते ढूंढ लूं

खुश होकर क्यूं ना जी लूं


मैं तो आगे ही बढूंगी

खुद ही तो चुनूँगी

अपने पसंद की जमीं

और ख्वाबों का आसमां


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational